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Year Archives: 2024

Stories

गोग्रास -किसी साथी की सच्ची घटना

गोग्रास -किसी साथी की सच्ची घटना लगभग 2 वर्ष पूर्व 2022 जून में हमारे पिताजी का स्वर्गवास हुआ था हमने विधिवत शास्त्र अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया और जैसा कि संत महात्मा कहते हैं,,और गरुड़पुराण में भी लिखा है सुना...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-146

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना, तुम्हहू तात कहत अब जाना, तोहि देखि सीतलि भइ छाती, पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती ।। भावार्थ:- हे हनुमान ! कहो, मैं किस प्रकार प्राण रखूँ ।...

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ऊपर उठने का माद्दा रखो

ऊपर उठने का माद्दा रखो पर्वत की ऊंचाई चाहें कितनी ही ऊपर क्यों नहीं हो यदि हमारा मन का विश्वास ऊपर है ऊंचा है तो हम एक न एक दिन चोटी पर पहुंचकर ही दम लेंगे , हमारा आत्मविश्वास जितना...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-145

जय श्री राधे कृष्ण ……. "तात सक्रसुत कथा सुनाएहु, बान प्रताप प्रभुहि समुझाएहु, मास दिवस महुँ नाथु न आवा, तौ पुनि मोहि जिअत नहिं पावा ।। भावार्थ:- हे तात! इन्द्र पुत्र जयंत की कथा (घटना) सुनाना और प्रभु को उनके...

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दुर्लभ जीवन

दुर्लभ जीवन रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क के किनारे कटोरा लिए एक भिखारी लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने कटोरे में पड़े सिक्कों को हिलाता रहता और साथ-साथ यह गाना भी गाता जाता…..गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-144

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कहेहु तात अस मोर प्रनामा, सब प्रकार प्रभु पूरनकामा, दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी ।। भावार्थ:- (जानकी जी ने कहा), हे तात! मेरा प्रणाम निवेदन करना और इस प्रकार कहना -...

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समर्पण में है सफलता है

समर्पण में है सफलता है पुराने समय की बात है। एक ब्रह्मचारी ने कई विद्याओं का अध्ययन पूर्ण कर लिया था। अब वह आत्म विद्या का ज्ञान प्राप्त करना चाहता था। अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए वह एक...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-143

जय श्री राधे कृष्ण ……. "मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा, जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा, चूड़ामनि उतारि तब दयऊ, हरष समेत पवनसुत लयऊ ।। भावार्थ:- (हनुमान जी ने कहा) हे माता! मुझे कोई चिन्ह (पहचान) दीजिये, जैसे श्री रघुनाथ जी ने...

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अच्छा बेटा या अच्छा पति

अच्छा बेटा या अच्छा पति पंद्रह घंटे का थकान भरा सफर कर चंचल अपने छोटे भाई समीर की शादी अटेंड कर दस दिन बाद आज ही घर आई थी। अपने तीन साल के बेटे प्रिंस को सोफे पर बिठाकर अभी...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-142

जय श्री राधे कृष्ण ……. "पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि, जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि ।। भावार्थ:- पूँछ बुझा कर, थकावट दूर कर के और फिर छोटा सा रूप धारण कर हनुमान जी श्री जानकी...

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