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Year Archives: 2024

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वाल्मीकि रामायण  भाग 27

वाल्मीकि रामायण  भाग 27 राम के हाथों खर के उन चौदह राक्षसों के वध को देखकर शूर्पणखा घबरा गई। भयभीत होकर वह पुनः खर के पास भागी। पुनः उसे रोता देख खर ने उससे पूछा, “बहन! तुम्हारी इच्छा पूरी करने...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-312

जय श्री राधे कृष्ण ….. "प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं, मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं, ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी ।। भावार्थ:- प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा (दंड) दी, किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव)...

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वाल्मीकि रामायण भाग 26

वाल्मीकि रामायण भाग 26अगस्त्य जी के आश्रम में प्रवेश करके लक्ष्मण जी ने उनके शिष्य को अपना परिचय दिया और बताया कि ‘महाराज दशरथ के पुत्र श्रीराम अपनी पत्नी सीता के साथ महर्षि का दर्शन करने आए हैं।’ शिष्य ने...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-311

जय श्री राधे कृष्ण ….. "तव प्रेरित मायाँ उपजाए, सृष्टि हेतु सब ग्रंथनि गाए, प्रभु आयसु जेहि कहँ जस अहई, सो तेहि भांति रहें सुख लहई ।। भावार्थ:- आप की प्रेरणा से माया ने इन्हें सृष्टि के लिए उत्पन्न किया...

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वाल्मीकि रामायण भाग 25

वाल्मीकि रामायण भाग 25महाभयंकर विराध राक्षस का वध करके श्रीराम ने सीता को सांत्वना दी और लक्ष्मण से कहा, “सुमित्रानन्दन! यह दुर्गम वन बड़ा कष्टप्रद है। हम लोग पहले कभी ऐसे वनों में नहीं रहे हैं, अतः यही अच्छा है...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-310

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सभय सिंधु गहि पद प्रभु केरे, छमहु नाथ सब अवगुन मेरे, गगन समीर अनल जल धरनी, इन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी ।। भावार्थ:- समुद्र ने भयभीत होकर प्रभु के चरण पकड़ कर कहा- हे...

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वाल्मीकि रामायण  भाग 24

वाल्मीकि रामायण  भाग 24 श्रीरामजी की चरण-पादुकाओं को अपने सिर पर रखकर भरत शत्रुघ्न के साथ रथ पर बैठे। महर्षि वसिष्ठ, वामदेव, जाबालि आदि सब लोग आगे-आगे चले। चित्रकूट पर्वत की परिक्रमा करते हुए मन्दाकिनी नदी को पार करके वे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-309

जय श्री राधे कृष्ण ….. "काटेहिं पइ कदरी फरइ कोटि जतन कोउ सींच, बिनय न मान खगेस सुनु डाटेहिं पइ नव नीच ।। भावार्थ:- (काकभुशुण्डि जी कहते हैं), हे गरुड़ जी! सुनिये । चाहे कोई करोड़ों उपाय कर के सींचे,...

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वाल्मीकि रामायण  भाग 23

वाल्मीकि रामायण  भाग 23 भरत के साथ गुह, शत्रुघ्न और सुमन्त्र भी श्रीराम के आश्रम की ओर चले। कुछ ही दूरी पर उन सबको अपने भाई की पर्णकुटी व झोपड़ी दिखाई दी। पर्णशाला के सामने लकड़ी के टुकड़े रखे हुए...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-308

जय श्री राधे कृष्ण ….. "मकर उरग झष गन अकुलाने, जरत जंतु जलनिधि जब जाने, कनक थार भरि मनि गन नाना, बिप्र रूप आयउ तजि माना ।। भावार्थ:- मगर, सौंप तथा मछलियों के समूह व्याकुल हो गए। जब समुद्र ने...

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