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Year Archives: 2024

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वाल्मीकि रामायण -भाग 37

वाल्मीकि रामायण -भाग 37 पूर्व दिशा की ओर जाने वाले वानरों को भेजने के बाद सुग्रीव ने दक्षिण दिशा की ओर जाने के लिए नील, जाम्बवान, सुहोत्र, गज, गवाक्ष, गवय, वृषभ, मैन्द, द्विविद, सुषेण, गन्धमादन, उल्कामुख और अनंग आदि श्रेष्ठ...

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सुविचार

जय श्री राधे कृष्ण ….. "योग्यताएँ कर्म से पैदा होती हैं, जन्म से हर व्यक्ति शून्य होता है……!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....

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वाल्मीकि रामायण -भाग 36

वाल्मीकि रामायण -भाग 36 क्रोधित लक्ष्मण धनुष-बाण लेकर किष्किन्धा की ओर बढ़े। किष्किन्धा के बाहर अनेक भयंकर वानर विचर रहे थे, जिनके शरीर हाथियों के समान विशाल थे। लक्ष्मण को देखते ही उन्होंने अनेक शिलाएँ और बड़े-बड़े वृक्ष अपने हाथों...

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सुविचार

जय श्री राधे कृष्ण ….. "वर्तमान से आंनद लेने का प्रयास कीजिये, भविष्य बहुत कपटी होता हैवो केवल आश्वासन देता है……!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....

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वाल्मीकि रामायण -भाग 35

वाल्मीकि रामायण -भाग 35 बाली के मृत शरीर को देखकर तारा भीषण विलाप करने लगी। उसकी यह दशा देखकर सुग्रीव को भारी पछतावा हुआ। उसकी आँखों से भी आँसुओं की धारा बहने लगी और मन खिन्न हो गया। तब श्रीराम...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-320

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान, सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान ।। भावार्थ:- श्री रघुनाथ जी का गुण गान संपूर्ण सुंदर मंगलों का देनेवाला है । जो इसे आदर सहित सुनेंगे, वे...

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वाल्मीकि रामायण -भाग 34

वाल्मीकि रामायण -भाग 34 क्रोध से भरा हुआ बाली किष्किन्धापुरी से बाहर निकला और अपने शत्रु को देखने के लिए उसने चारों ओर दृष्टि दौड़ाई। तभी उसे युद्ध के लिए तैयार खड़ा सुग्रीव दिखाई दिया। उसे देखते ही बाली का...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-319

जय श्री राधे कृष्ण ….. "निज भवन गवनेउ सिंधु श्रीरघुपतिहि यह मत भायऊ, यह चरित कलि मल हर जथामति दास तुलसी गायऊ ।। सुख भवन संसय समन दवन बिषाद रघुपति गुन गना ।तजि सकल आस भरोस गावहि सुनहि संतत सठ...

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वाल्मीकि रामायण -भाग 33

वाल्मीकि रामायण -भाग 33 श्रीराम के पूछने पर सुग्रीव ने बताना आरंभ किया। “श्रीराम! बाली मेरा बड़ा भाई है। मेरे पिता ऋक्षराज उसे बहुत मानते थे। मेरे मन में भी उसके प्रति आदर की भावना थी। बाली बड़ा था और...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-318

जय श्री राधे कृष्ण ….. "देखि राम बल पौरुष भारी, हरषि पयोनिधि भयउ सुखारी, सकल चरित कहि प्रभुहि सुनावा, चरन बंदि पाथोधि सिधावा ।। भावार्थ:- श्री राम जी का भारी बल और पौरुष देखकर समुद्र हर्षित हो कर सुखी हो...

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