भगवान के भक्त को कैसे पहचानें?
जब भगवान को अपने भक्त के लिए कोर्ट मे पैरवी करने आना पड़े तब समझें की भक्त उच्च साधना वाला है! हमारे उज्जैन से थोड़ी दूर आगर नामक छोटा सा किन्तु बड़ा सुन्दर शहर है और इसीलिए शहर से एक महान भक्त की सत्य घटना आपलोगो के सामने रखने जा रहा हूँ….और हाँ अद्भुत बात ये है की हम लोग मन मे बार बार सोचते है ना की “अरे ऐसे घनघोर कलियुग मे कोई भगवान आते है क्या!” या “आज के समय मे किसने देखा भगवान को!”, तो ये वाली सत्य घटना मात्र 90 वर्ष पुरानी और सप्रमाण डॉक्यूमेंटेड है।
एक थे वकील श्री जयनारायण जो भोले बाबा के अनन्य भक्त और श्रीरामचरितमानस के परम रसिक, नित्य का उनका नियम था की आगर मे बाबा बैजनाथ को श्रीराम कथा सुनाना। अब एक दिन ऐसा आया की जयनारायण जी की एक मुक़दमे के सिलसिले मे कोर्ट मे बहस तय थी और केस काफ़ी महत्वपूर्ण था। दैनिक नियमानुसार ये प्रातःकाल बाबा बैजनाथ के धाम मे गए और जल अर्पित करके भोले बाबा को श्रीरामचरितमानस सुनाने बैठ गए। उस दिन जाने कैसा ध्यान लगा की वे कथा सुनाते ही रहे सुनाते ही रहे और उन्हें ये भान नहीं रहा की दोपहर हो आयी है कोर्ट मे केस के लिए भी जाना है, जब ध्यान टूटा तो पाया की समय तो बहुत ही अधिक विलम्ब वाला हो गया है और अब तक तो कोर्ट की कार्रवाही का समापन हो गया होगा!
भागे भागे कोर्ट गए की रास्ते मे ही साथ के अन्य वकील मिलने लगे और जो मिलता वो जयनारायण जी को प्रेम से विभोर होकर गले लगा लेता, हाथ मिलाता और गदगद स्वरों मे बधाई देता: “वाह आज क्या गज़ब का केस लड़ा आपने!” “आज क्या अद्भुत ओज था आपकी वाणी मे!” “आज आपके चेहरे की दमक देखते ही बन रही थी!” अपनी ऐसी प्रशंसा सुनते हुए वे कोर्ट पहुँचे और अपने केस के बारे मे पूछताछ की तो कचहरी के कर्मचारी ने बताया: “बाबू आज तो दोपहर मे आपने क्या गज़ब का केस लड़ा! आज जो आपने धारा दफा बताई है धाराप्रवाह वो हमने आजतक कोर्ट के इतिहास मे नहीं देखा! केस तो आप जीते ही जीते साथ ही पूरे न्यायलय का हृदय आपने जीत लिया बाबू आज!”
उपस्थिति का प्रमाण बताने को कहा तब कोर्ट के उपस्थिति रजिस्टर मे उस कर्मचारी ने जयनारायण जी के दोपहर के समय के हस्ताक्षर दिखा दिए। “आज त्रिपुण्ड बड़ा ही अद्भुत लग रहा था बाबू आपके मस्तक पर! अभी इतनी चमक नहीं दिखाई पड़ रही है वो दोपहर वाली!”
बस जैसे ही उस कर्मचारी ने ये कहा जयनारायण जी के नेत्रों से झर झर आँसू बहने लगे, वे जान गए की उनका भेष धरे कौन कोर्ट मे केस लड़ने आया था….वही आया था जिसे वे मगन होकर राम कथा सुना रहे थे और उसी समय उनका रूप धरकर भोले बाबा अपने भक्त का सम्मान बचाने कोर्ट मे उतर पड़े थे! बस उस दिन से जयनारायण जी ने वकालत त्याग दी और अपना जीवन पूरी तरह से भोलेबाबा के चरणों मे अर्पित कर दिया। बाद के दिनों मे वे संत बापजी के नाम से प्रसिद्ध हुए एवं रतलाम के एक आश्रम मे लौकिक देह त्याग की।
अब जाते जाते एक और आश्चर्य की बात बताऊँ…साल 1997 मे जयनारायण जी के पुश्तैनी मकान मे भीषण आग लग गयी और पूरा मकान जल गया, केवल वो कोर्ट केस की डायरी और जिस अलमारी मे वो डायरी रखी थी वो एकदम सही सुरक्षित पायी गयी। आगर जाये और बाबा बैजनाथ के दर्शनों का सौभाग्य मिले तो आपको दिखेगा की जयनारायण जी की एक प्रतिमा मानस पाठ करते हुए मंदिर के ठीक बाहर स्थापित की गयी है। और इस मंदिर को एक अंग्रेज़ अफसर ने बनवाया था जब प्रथम विश्वयुद्ध के समय हज़ारो हज़ार गोलियों से शंकर भगवान ने उसकी प्राण रक्षा की थी, इसपर विस्तार से किसी अन्य समय लिखने का प्रयास रहेगा भगवान की दया से।
जय राम जी की🙏🏼
कहानी अच्छी लगे तो Like और Comment जरुर करें। यदि पोस्ट पसन्द आये तो Follow & Share अवश्य करें ।
जय श्रीराम
जब हम अपनी सब समस्याएं भगवान को सच्चे दिल से सौंप देते है, तो वह भी पूरी जिम्मेवारी से निभाता है।
इसका मेरा भी अनुभव है