lalittripathi@rediffmail.com
Stories

ऊँट मत बनना

242Views

ऊँट मत बनना

पंचतंत्र की एक कहानी है जिसमें एक भेड़िया, गीदड़ और ऊँट की दोस्ती दिखाई गयी है । भेड़िया शिकार करता और अपनी भूख मिटाता, गीदड़ का गुज़ारा बचे हुए गोश्त से आराम से हो जाता । ऊँट पेड़ों की पत्तियाँ खा कर ख़ुश था ।

दो मांसाहारी पशुओं के बीच रह कर भी ऊँट मित्रता के चलते पूर्णतः सुरक्षित था और अपने दोनों मित्रों की जीवनशैली में कोई दख़लंदाज़ी नहीं करता था । हालाँकि उसके दोनों मित्र रोज़ाना उसके जैसे ही शाकाहारी जानवरों का शिकार करते थे, परंतु ऊँट इसको उनका पारंपरिक हक़ मानता था ।

एक बार जंगल में अकाल पड़ा । ज़्यादातर जानवर या तो मर गये या दूर जंगलों में पलायन कर गये । भेड़िये के लिये शिकार दूभर हो गया । बिना भोजन के हफ़्ता बीत गया और भेड़िये और गीदड़ दोनों के भूख से मरने की नौबत आ गयी।

   ऐसे में गीदड़ ने भेड़िये को एकांत में सुझाव दिया कि उसे ऊँट को मार डालना चाहिये और उसके गोश्त से उन दोनों का बहुत दिनों काम चल जायेगा । भेड़िये ने संकोच से पूछा,”क्या मित्र का शिकार सही होगा, आख़िर वो हम पर विश्वास करता है?”

गीदड़ बोला,”मित्र, धोखा देने को मैं भी नहीं कह रहा । परंतु यदि ऊँट आपके जीवन की रक्षा के लिये स्वयं अपने को प्रस्तुत करे तब तो आपको कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये ।

भेड़िया तैयार हो गया ।

कुछ देर बाद जब ऊँट आया तो गीदड़ ने उस को सुनाकर भेड़िये से कहा, ”मित्र मुझसे आपकी भूख देखी नहीं जाती । आप मुझे खा कर अपने प्राणों की रक्षा कीजिये “।

            भेड़िया बोला,”क्या कहते हो, अपने जीवन के लिये मित्र के प्राण हर लूँ ! असंभव!”

            गीदड़ की बात और भेड़िये का जवाब सुन कर ऊँट को लगा कि उसे भी अपनी मित्रता का प्रमाण देना चाहिये । तो वह भी बोल पड़ा,”मित्र इस गीदड़ के शरीर से आपका क्या ही भला होगा, आप मुझे मार कर अपनी भूख मिटाइये”।

ऊँट के इतना कहते ही भेड़िया और गीदड़ उस पर टूट पड़े और उसका काम तमाम कर दिया । फ़िर कई दिनों तक दोनों को पर्याप्त भोजन मिला ।

            ये वामी-लिबरल उसी गीदड़ की तरह हैं जो ख़ुद तो जेहादी ताक़तों की जूठन खा कर ज़िंदा हैं ही, हमें भी उनका भोजन बनाने के लिये उस ऊँट की तरह बरगलाते रहते हैं ।

तो ऊँट मत बनना ।

डिस्क्लेमर- मूल कथा में भेड़िये की जगह सिंह  का उल्लेख  है, परंतु इन जेहादी ताक़तों में सिंह वाली बात कहाँ । अत: उचित संशोधन

इसलिए,जब भी करो बात मुस्कुराया करो😃

कहानी अच्छी लगे तो Like और Comment जरुर करें। यदि पोस्ट पसन्द आये तो Follow & Share अवश्य करें । जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

2 Comments

Leave a Reply