वाल्मीकि रामायण -भाग 40
वाल्मीकि रामायण -भाग 40समुद्र पार करके हनुमान जी लंका के त्रिकूट पर्वत पर उतरे और नगर में प्रवेश करने से पहले उसका अवलोकन करने लगे। वहाँ से उन्हें चीड़, कनेर, खजूर, चिरौंजी, नींबू, कुटज, केवड़े, पिप्पली, अशोक आदि अनेक प्रकार...
वाल्मीकि रामायण -भाग 40समुद्र पार करके हनुमान जी लंका के त्रिकूट पर्वत पर उतरे और नगर में प्रवेश करने से पहले उसका अवलोकन करने लगे। वहाँ से उन्हें चीड़, कनेर, खजूर, चिरौंजी, नींबू, कुटज, केवड़े, पिप्पली, अशोक आदि अनेक प्रकार...
जय श्री राधे कृष्ण ….. " रावण मरे या ना मरे किन्तु मेरे अन्दर का राम सदैव जीवित रहना चाहिए..! अधर्म पर धर्म की और असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक विजय-दशमी की बधाई और शुभकामनाएं सुप्रभात आज का...
जय श्री राधे कृष्ण ….. " दयालुता से व्यवहार करें, प्यार से बात करें और नम्रता से काम करें; तो सब कुछ अच्छा हो जाएगा…!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....
वाल्मीकि रामायण -भाग 39 यहाँ से सुन्दरकाण्ड आरंभ हो रहा है। समुद्र पार करने हेतु सौ योजन की छलांग लगाने के लिए हनुमान जी महेन्द्र पर्वत के ऊँचे शिखर पर चढ़ गए। उनके विशाल आकार के कारण वह पर्वत उनके...
जय श्री राधे कृष्ण ….. " अपनों से अपनापन चाहते हैं तो बेवजह भी मिलते रहें क्योंकि कई रिश्ते केवल बुलावे के इंतजार में ही बिखर जाते हैं….!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....
वाल्मीकि रामायण -भाग 38 समुद्र तट पर दुःखी बैठे उन वानरों को रोता देख उस गिद्ध ने अपने आप से ही कहा, “जिस प्रकार पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार मनुष्य को अपने किये का फल मिलता है, उसी प्रकार बहुत...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "रिश्ते हमेशा "हम" से ही बनते हैं। "मैं" कभी भी किसी रिश्ते को नही बनाता।…..!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....
वाल्मीकि रामायण -भाग 37 पूर्व दिशा की ओर जाने वाले वानरों को भेजने के बाद सुग्रीव ने दक्षिण दिशा की ओर जाने के लिए नील, जाम्बवान, सुहोत्र, गज, गवाक्ष, गवय, वृषभ, मैन्द, द्विविद, सुषेण, गन्धमादन, उल्कामुख और अनंग आदि श्रेष्ठ...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "योग्यताएँ कर्म से पैदा होती हैं, जन्म से हर व्यक्ति शून्य होता है……!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....
वाल्मीकि रामायण -भाग 36 क्रोधित लक्ष्मण धनुष-बाण लेकर किष्किन्धा की ओर बढ़े। किष्किन्धा के बाहर अनेक भयंकर वानर विचर रहे थे, जिनके शरीर हाथियों के समान विशाल थे। लक्ष्मण को देखते ही उन्होंने अनेक शिलाएँ और बड़े-बड़े वृक्ष अपने हाथों...