जय श्री राधे कृष्ण …..
“सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान, सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान ।।
भावार्थ:– श्री रघुनाथ जी का गुण गान संपूर्ण सुंदर मंगलों का देनेवाला है । जो इसे आदर सहित सुनेंगे, वे बिना किसी जहाज (अन्य साधन) के ही भव सागर को तर जायंगे…..!!
मासपारायण, चौबीसवाँ विश्राम
इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने पंचम: सोपान: समाप्त: ।।
कलियुग के समस्त पापों का नाश करनेवाले श्री रामचरितमानस का यह पांचवा सोपान समाप्त हुआ ।।(सुन्दरकाण्ड समाप्त)
🙏🌹जय जय श्री राम🌹🙏
कृपया अपने घर में ही भगवान श्री राम दरबार सहित बजरंगबली जी का स्मरण कर उन्हें प्रणाम करें..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..