जय श्री राधे कृष्ण …..
“एहि सर मम उत्तर तट बासी, हतहु नाथ खल नर अघ रासी, सुनि कृपाल सागर मन पीरा, तुरतहिं हरी राम रनधीरा ।।
भावार्थ:– इस बाण से मेरे उत्तर तट पर रहने वाले पाप के राशि दुष्ट मनुष्यों का वध कीजिए । कृपालु और रणधीर प्रभु श्री राम जी ने समुद्र के मन की पीड़ा सुन कर उसे तुरंत ही हर लिया (अर्थात बाण से उन दुष्टों का वध कर दिया)…….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..