जय श्री राधे कृष्ण …..
“प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं, मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं, ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी ।।
भावार्थ:– प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा (दंड) दी, किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गँवार, शूद्र, पशु और स्त्री – यह सब शिक्षा (देख भाल) के अधिकारी हैं…….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..