lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-310

91Views

जय श्री राधे कृष्ण …..

सभय सिंधु गहि पद प्रभु केरे, छमहु नाथ सब अवगुन मेरे, गगन समीर अनल जल धरनी, इन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी ।।

भावार्थ:– समुद्र ने भयभीत होकर प्रभु के चरण पकड़ कर कहा- हे नाथ ! मेरे सब अवगुण (दोष) क्षमा कीजिए । हे नाथ! आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी इन सब की करनी स्वभाव से ही जड़ है ….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply