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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-308

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जय श्री राधे कृष्ण …..

मकर उरग झष गन अकुलाने, जरत जंतु जलनिधि जब जाने, कनक थार भरि मनि गन नाना, बिप्र रूप आयउ तजि माना ।।

भावार्थ:– मगर, सौंप तथा मछलियों के समूह व्याकुल हो गए। जब समुद्र ने जीवों को जलते जाना, तब सोने के थाल में अनेक मणियों (रत्नों) को भर कर अभिमान छोड़ कर वह ब्राह्मण के रूप में आया….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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