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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-304

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जय श्री राधे कृष्ण …..

बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति, बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति ।।

भावार्थ:– इधर तीन दिन बीत गए, किंतु जड़ समुद्र विनय नहीं मानता । तब श्री राम जी क्रोध सहित बोले – बिना भय के प्रीति नहीं होती…..!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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