जय श्री राधे कृष्ण …..
“बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति, बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति ।।
भावार्थ:– इधर तीन दिन बीत गए, किंतु जड़ समुद्र विनय नहीं मानता । तब श्री राम जी क्रोध सहित बोले – बिना भय के प्रीति नहीं होती…..!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..