जय श्री राधे कृष्ण …..
“सचिव सभीत बिभीषन जाकें, बिजय बिभूति कहाँ जग ताकें, सुनि खल बचन दूत रिस बाढ़ी, समय बिचारि पत्रिका काढ़ी ।।
भावार्थ:– जिसके विभीषण जैसा डरपोक मंत्री हो, उस के लिए संसार में विजय और विभूति (ऐश्वर्य) कहाँ । दुष्ट रावण के वचन सुन कर दूत का क्रोध बढ़ गया। उसने अवसर जान कर लक्ष्मण द्वारा दी गई पत्रिका निकाली….!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..