जय श्री राधे कृष्ण …..
“मर्दि गर्द मिलवहिं दससीसा, ऐसहि बचन कहहिं सब कीसा, गर्जहिं तर्जहिं सहज असंका, मानहुँ ग्रसन चहत हहिं लंका ।।
भावार्थ:– और रावण को मसल कर धूल में मिला देंगे। सब वानर ऐसे ही वचन कह रहे हैं। सब सहज ही निडर हैं । इस प्रकार गरजते और डपटते हैं, मानो लंका को निगल ही जाना चाहते हैं…….. !!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..