lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-288

58Views

जय श्री राधे कृष्ण …..

अस मैं सुना श्रवन दसकंधर, पदुम अठारह जूथप बंदर, नाथ कटक महँ सो कपि नाहीं, जो न तुम्हहि जीतै रन माहीं ।।

भावार्थ:– हे दशग्रीव! मैंने कानों से ऐसा सुना है कि अठारह पद्म तो अकेले वानरों के सेनापति हैं । हे नाथ ! उस सेना में ऐसा कोई वानर नहीं है, जो आपको रण में ना जीत सके…. !!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply