जय श्री राधे कृष्ण …..
“कपि सब सुग्रीव समाना, इन्ह सम कोटिन्ह गनइ को नाना, राम कृपा अतुलित बल तिन्हहीं, तृन समान त्रैलोकहि गनहीं ।।
भावार्थ:– यह सब वानर बल में सुग्रीव के समान हैं और इनके जैसे (एक – दो नहीं) करोड़ों हैं, उन बहुत सों को गिन ही कौन सकता है ? श्री राम जी की कृपा से उनमें अतुलनीय बल है। वह तीनों लोकों को तृण के समान (तुच्छ) समझते हैं…. !!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..