lalittripathi@rediffmail.com
Stories

भाई- भाई

335Views

भाई– भाई

बचपन मे भाई के लिए जान देने वाला भाई ही क्यों बड़े होकर भाई का दुश्मन बन जाता है ?……एक सच्ची कहानी है जरा भाव से समझिये😔, गाँव के दो भाई, जमीन का विवाद  व भीषण गर्मी का दिन,तपती दोपहरी और कोर्ट की तारीख। दोनों का 7 साल से विवाद चल रहा था। दोनों कोर्ट में आए और अलग-अलग बैठ गए। बोलना तो दूर दोनों एक दूजे को देखना तक पसंद नही करते। बड़ा भाई पेड़ के बने चबूतरे पर बैठा तो छोटा भाई कोर्ट के तिबारे में बैठा अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। मजिस्ट्रेट साब भोजन करने गए थे सो टाइम लग गया। चबूतरे पर बैठे बड़े भाई को नींद आ गई,तो छोटे भाई ने देखा कि भाई की जूती में तेज धूप लग रही हैं तो उसने पांव से जूतियों को दूसरी साइड सरका दिया। थोड़ी देर बाद बड़े भाई की आंखे खुली तो उसे जूती नहीं मिली,उसने देखा जूती साइड में खुली हुई हैं वो भड़क गया कि शायद इसी दुश्मन भाई ने जूती छिपाई हैं। वो भाई से झगड़ा करने लगा कि तूने कैसे मेरी जूतियों को छिपाया ताकि मैं परेशान हो जाऊं,छोटा भाई बोला भाई तेरी जूतीन पे धूप आ रही थी तो मैने सोचा भाई का पांव जल जाएगा या मारे यहाँ कर दी।😔 बड़ा भाई शून्य में चला गया । निःशब्द हो गया,आंखे भर आईं,गला रूँध हो गया,बोली बन्द हो गई। अपने भाई से कुछ नही  बोला सीधा खुद के वकील के पास गया और बोला , जो लाला चाहता है वकील साब ऐसे ही कर दो ,मुझसे अंगूठा लगवा लो क्योंकि मैं दुबारा कभी कचहरी नही आऊंगा😔

कहानी अच्छी लगे तो Like और Comment जरुर करें। यदि पोस्ट पसन्द आये तो Follow & Share अवश्य करें ।

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

2 Comments

Leave a Reply