कलयुग का दरोगा
कलयुग का दरोगा गरीब किसान के खेत में बिना बोये लौकी का पौधा उग आया। बड़ा हुआ तो उसमे तीन लौकियाँ लगीं। उसने सोचा, उन्हें बाजार में बेचकर घर के लिए कुछ सामान ले आएगा। अतः वो तीन लौकियाँ लेकर...
कलयुग का दरोगा गरीब किसान के खेत में बिना बोये लौकी का पौधा उग आया। बड़ा हुआ तो उसमे तीन लौकियाँ लगीं। उसने सोचा, उन्हें बाजार में बेचकर घर के लिए कुछ सामान ले आएगा। अतः वो तीन लौकियाँ लेकर...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "कह सुग्रीव सुनहु सब बानर, अंग भंग करि पठवहु निसिचर, सुनि सुग्रीव बचन कपि धाए, बांधि कटक चहु पास फिराए ।। भावार्थ:- सुग्रीव ने कहा - सब वानरो ! सुनो, राक्षसों के अंग भंग करके...
चंदन और कीचड़ एक दिन चंदन और कीचड़ का मिलन हो गया। दोनों अपनी-अपनी प्रशंसा के पुल बांधने लगे। चंदन बोला-‘भाई कर्दम ! मेरी बराबरी तू नहीं कर सकता । मेरी शीतलता से सारा संसार परिचित है। मेरे में इतनी...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "प्रगट बखानहिं राम सुभाऊ, अति सप्रेम गा बिसरि दुराऊ, रिपु के दूत कपिन्ह तब जाने, सकल बांधि कपीस पहिं आने ।। भावार्थ:- फिर वे प्रकट रूप में भी अत्यंत प्रेम के साथ श्री राम जी...
मेरी छोटी बुआ रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा जमशेदपुर (झारखण्ड )वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था! कितना बड़ा पार्सल भेजती थी बुआ जी! तरह-तरह के विदेशी ब्रांड वाले चॉकलेट,गेम्स, मेरे लिए...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "सकल चरित तिन्ह देखे धरें कपट कपि देह, प्रभु गुन हृदयँ सराहहिं सरनागत पर नेह ।। भावार्थ:- कपट से वानर का शरीर धारण कर उन्होंने सब लीलाएं देखीं। वे अपने ह्रदय में प्रभु के गुणों...
कृष्णा हमारी पुकार सुन रहे है👂 मीरा जी जब भगवान कृष्ण के लिए गाती थी तो भगवान बड़े ध्यान से सुनते थे। सूरदास जी जब पद गाते थे तब भी भगवान सुनते थे। और कहाँ तक कहूँ कबीर जी ने...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "प्रथम प्रनाम कीन्ह सिरु नाई, बैठे पुनि तट दर्भ डसाई, जबहिं बिभीषन प्रभु पहिं आए, पाछें रावन दूत पठाए ।। भावार्थ:- उन्होंने पहले सिर नवा कर प्रणाम किया। फिर किनारे पर कुश बिछा कर बैठ...
भक्ति का सही समय दो बहनें चक्की पर गेहूं पीस रही थी, पीसते पीसते एक बहन गेहूं के दाने खा भी रही थी। दूसरी बहन उसको बीच बीच में समझा रही थी देख अभी मत खा घर जाकर आराम से...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनत बिहसि बोले रघुबीरा, ऐसहिं करब धरहु मन धीरा, अस कहि प्रभु अनुजहि समुझाई, सिंधु समीप गए रघुराई ।। भावार्थ:- यह सुन कर श्री रघुवीर हँस कर बोले - ऐसे ही करेंगे, मन में धीरज...