जन्माष्टमी
जन्माष्टमीकभी सूरदास ने एक स्वप्न देखा था कि राधिका और रुक्मिणी मिली हैं और एक दूजे पर न्योछावर हुई जा रही हैं। सोचता हूँ, कैसा होगा वह क्षण जब दोनों ठकुरानियाँ मिली होंगी। दोनों ने प्रेम किया था। एक ने...
जन्माष्टमीकभी सूरदास ने एक स्वप्न देखा था कि राधिका और रुक्मिणी मिली हैं और एक दूजे पर न्योछावर हुई जा रही हैं। सोचता हूँ, कैसा होगा वह क्षण जब दोनों ठकुरानियाँ मिली होंगी। दोनों ने प्रेम किया था। एक ने...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "बिहसि दसानन पूँछी बाता, कहसि न सुक आपनि कुसलाता, पुनि कहु खबरि बिभीषन केरी, जाहि मृत्यु आई अति नेरी ।। भावार्थ:- दसमुख रावण ने हँसकर बात पूछी - अरे शुक! अपनी कुशल क्यों नहीं कहता...
श्री कृष्ण - कुछ रोचक जानकारीया कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। कृष्ण के जीवन में वह सबकुछ है जिसकी मानव को आवश्यकता होती है। कृष्ण गुरु हैं, तो शिष्य भी। आदर्श पति हैं तो प्रेमी भी। आदर्श मित्र हैं,...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "तुरत नाइ लछिमन पद माथा, चले दूत बरनत गुन गाथा, कहत राम जसु लंकाँ आए, रावन चरन सीस तिन्ह नाए ।। भावार्थ:- लक्ष्मण जी के चरणों में मस्तक नवा कर श्री राम जी के गुणों...
भगवान श्री कृष्ण को क्यों प्रिय है माखन-मिश्री माखन क्या है ? मन ही माखन है। भगवान को मन रूपी माखन का भोग लगाना है। क्योंकि भोग तो भगवान लगाते है भक्त तो प्रसाद ग्रहण करता है, इसलिए हम भोक्ता...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "कहेहु मुखागर मूढ़ सन मम संदेसु उदार, सीता देइ मिलहु न त आवा कालु तुम्हार ।। भावार्थ:- फिर उस मूर्ख से जबानी यह मेरा उदार (कृपा से भरा हुआ) संदेश कहना कि सीता जी को...
सबके प्यारे भगवान श्रीकृष्ण 🕉️🚩 🚩🕉️अप्रत्याशित रूप से, चारों ओर दिव्य रोशनी थी, तेज रोशनी ने जेल के अंधेरे को दूर कर दिया, आप राजाओं के राजा के रूप में आए, हे कृष्ण। चारों ओर आनंद और ख़ुशी के अलावा...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "*सुनि लछिमन सब निकट बोलाए,दया लागि हँसि तुरत छोड़ाए,रावन कर दीजहु यह पाती, लछिमन बचन बाचु कुलघाती ।। भावार्थ:- यह सुन कर लक्ष्मण जी ने सब को निकट बुलाया। उन्हें बड़ी दया लगी। इससे हँस...
स्वर्ग की मिट्टी एक पापी इन्सान मरते वक्त बहुत दुख और पीड़ा भोग रहा था। लोग वहाँ काफी संख्या में इकट्ठे हो गये। वहीं पर एक महापुरूष आ गये, पास खड़े लोगों ने महापुरूष से पूछा कि आप इसका कोई...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "बहु प्रकार मारन कपि लागे, दीन पुकारत तदपि न त्यागे, जो हमार हर नासा काना, तेहि कोसलाधीस कै आना ।। भावार्थ:- वानर उन्हें बहुत तरह से मारने लगे। वे दीन होकर पुकारते थे । फिर...