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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-280

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जय श्री राधे कृष्ण …..

जिन्ह के जीवन कर रखवारा, भयउ मृदुल चित सिंधु बिचारा, कहु तपसिन्ह कै बात बहोरी, जिन्ह के हृदयँ त्रास अति मोरी ।।

भावार्थ:– और जिनके जीवन का रक्षक कोमल चित्त वाला बेचारा समुद्र बन गया है (अर्थात उनके और राक्षसों के बीच में यदि समुद्र न होता तो अब तक राक्षस उन्हें मारकर खा गये होते) । फिर उन तपस्वियों की बात बता, जिनके हृदय में मेरा बड़ा डर है….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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