जय श्री राधे कृष्ण …..
“जिन्ह के जीवन कर रखवारा, भयउ मृदुल चित सिंधु बिचारा, कहु तपसिन्ह कै बात बहोरी, जिन्ह के हृदयँ त्रास अति मोरी ।।
भावार्थ:– और जिनके जीवन का रक्षक कोमल चित्त वाला बेचारा समुद्र बन गया है (अर्थात उनके और राक्षसों के बीच में यदि समुद्र न होता तो अब तक राक्षस उन्हें मारकर खा गये होते) । फिर उन तपस्वियों की बात बता, जिनके हृदय में मेरा बड़ा डर है….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..