जय श्री राधे कृष्ण …..
“तुरत नाइ लछिमन पद माथा, चले दूत बरनत गुन गाथा, कहत राम जसु लंकाँ आए, रावन चरन सीस तिन्ह नाए ।।
भावार्थ:– लक्ष्मण जी के चरणों में मस्तक नवा कर श्री राम जी के गुणों की कथा वर्णन करते हुए दूत तुरंत ही चल दिए । श्री राम जी का यश कहते हुए वे लंका में आए और उन्होंने रावण के चरणों में सिर नवाए……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..