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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-277

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जय श्री राधे कृष्ण …..

तुरत नाइ लछिमन पद माथा, चले दूत बरनत गुन गाथा, कहत राम जसु लंकाँ आए, रावन चरन सीस तिन्ह नाए ।।

भावार्थ:– लक्ष्मण जी के चरणों में मस्तक नवा कर श्री राम जी के गुणों की कथा वर्णन करते हुए दूत तुरंत ही चल दिए । श्री राम जी का यश कहते हुए वे लंका में आए और उन्होंने रावण के चरणों में सिर नवाए……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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