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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-275

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जय श्री राधे कृष्ण …..

“*सुनि लछिमन सब निकट बोलाए,दया लागि हँसि तुरत छोड़ाए,रावन कर दीजहु यह पाती, लछिमन बचन बाचु कुलघाती ।।

भावार्थ:– यह सुन कर लक्ष्मण जी ने सब को निकट बुलाया। उन्हें बड़ी दया लगी। इससे हँस कर उन्होंने राक्षसों को तुरंत ही छुड़ा दिया । (और उनसे कहा) रावण के हाथ में यह चिट्ठी देना (और कहना) हे कुल घातक! लक्ष्मण के शब्दों (संदेसे) को बाँचो…….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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