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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-274

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जय श्री राधे कृष्ण …..

बहु प्रकार मारन कपि लागे, दीन पुकारत तदपि न त्यागे, जो हमार हर नासा काना, तेहि कोसलाधीस कै आना ।।

भावार्थ:– वानर उन्हें बहुत तरह से मारने लगे। वे दीन होकर पुकारते थे । फिर भी वानरों ने उन्हें नहीं छोड़ा। (तब दूतों ने पुकार कर कहा) जो हमारे नाक कान काटेगा, उसे कोसलाधीस श्री राम जी की सौगंध है…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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