जय श्री राधे कृष्ण …..
“पुनि सर्बग्य सर्ब उर बासी, सर्बरुप सब रहित उदासी, बोले बचन नीति प्रतिपालक, कारन मनुज दनुज कुल घालक ।।
भावार्थ:– फिर सब कुछ जानने वाले, सबके हृदय में बसने वाले, सर्वरुप (सब रूपों में प्रकट), सबसे रहित, उदासीन, कारण से (भक्तों पर कृपा करने के लिए ) मनुष्य बने हुए तथा राक्षसों के कुल का नाश करने वाले श्री राम जी नीति की रक्षा करने वाले वचन बोले….!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..