जय श्री राधे कृष्ण …..
“अस प्रभु छाड़ि भजहिं जे आना, ते नर पसु बिनु पूंछ बिषाना, निज जन जानि ताहि अपनावा, प्रभु सुभाव कपि कुल मन भावा ।।
भावार्थ:– ऐसे परम कृपालु प्रभु को छोड़ कर जो मनुष्य दूसरे को भजते हैं, वह बिना सींग – पूंछ के पशु हैं। अपना सेवक जान कर विभीषण को श्री राम जी ने अपना लिया । प्रभु का स्वभाव वानर कुल के मन को (बहुत) भाया….!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
