जय श्री राधे कृष्ण …..
“सुनु लंकेस सकल गुन तोरें, तातें तुम्ह अतिसय प्रिय मोरें, राम बचन सुनि बानर जूथा, सकल कहहिं जय कृपा बरूथा ।।
भावार्थ:– हे लंकापति ! सुनो, तुम्हारे अंदर उपर्युक्त सब गुण हैं। इससे तुम मुझे अत्यंत ही प्रिय हो। श्री राम जी के वचन सुनकर सब वानरों के समूह कहने लगे, कृपा के समूह श्री राम जी की जय हो…!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
