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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-253

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जय श्री राधे कृष्ण …..

सब कै ममता ताग बटोरी, मम पद मनहि बांध बरि डोरी, समदरसी इच्छा कछु नाहीं, हरष सोक भय नहिं मन माहीं ।।

भावार्थ:– इन सब के ममत्व रुपी तागों को बटोर कर और उन सब की एक डोरी बट कर उसके द्वारा जो अपने मन को मेरे चरणों में बांध देता (सारे सांसारिक संबंधों का केंद्र मुझे बना लेता) है, जो समदर्शी है, जिसे कुछ इच्छा नहीं है, और जिसके मन में हर्ष, शोक और भय नहीं है…!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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