जय श्री राधे कृष्ण …..
“सुनहु सखा निज कहउँ सुभाऊ, जान भुसुंडि संभु गिरिजाऊ, जौं नर होइ चराचर द्रोही, आवै सभय सरन तकि मोही ।।
भावार्थ:– (श्री राम जी ने कहा) हे सखा! सुनो, मैं तुम्हें अपना स्वभाव कहता हूँ, जिसे काकभुशुंडि, शिव जी और पार्वती जी भी जानती हैं । कोई मनुष्य (संपूर्ण) जड़-चेतन जगत का द्रोही हो, यदि वह भी भयभीत हो कर मेरी शरण तक आ जाए…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..