lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार

50Views

जय श्री राधे कृष्ण …..

मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ, सुभ आचरनु कीन्ह नहिं काऊ, जासु रुप मुनि ध्यान न आवा, तेहिं प्रभु हरषि हृदयँ मोहि लावा ।।

भावार्थ:– मैं अत्यंत नीच स्वभाव का राक्षस हूँ। मैंने कभी शुभ आचरण नहीं किया । जिन का रूप मुनियों के भी ध्यान में नहीं आता, उन प्रभु ने स्वयं हर्षित होकर मुझे हृदय से लगा लिया…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply