जय श्री राधे कृष्ण …..
“अब मैं कुसल मिटे भय भारे, देखि राम पद कमल तुम्हारे, तुम्ह कृपाल जा पर अनुकूला, ताहि न ब्याप त्रिबिध भव सूल ।।
भावार्थ:– हे श्री राम जी! आपके चरण विंद के दर्शन कर अब मैं कुशल से हूंँ, मेरे भारी भय मिट गये । हे कृपालु ! आप जिस पर अनुकूल होते हैं , उसे तीनों प्रकार के भव शूल (आध्यात्मिक, आधि दैविक और आधि भौतिक ताप) नहीं व्यापत……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..