जय श्री राधे कृष्ण …..
“ममता तरुन तमी अँधिआरी, राग द्वेष उलूक सुखकारी, तब लगि बसति जीव मन माहीं, जब लगि प्रभु प्रताप रबि नाहीं ।।
भावार्थ:– ममता पूर्ण अंधेरी रात है, जो राग -द्वेष रूपी उल्लुओं को सुख देने वाली है। वह (ममता रूपी रात्रि) तभी तक जीव के मन में बसती है, जब तक प्रभु (आप) का प्रताप रूपी सूर्य उदय नहीं होता……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
