जय श्री राधे कृष्ण …..
“तब लगि कुसल न जीव कहुँ सपनेहुँ मन बिश्राम, जब लगि भजत न राम कहुँ सोक धाम तजि काम ।।
भावार्थ:– तब तक जीव की कुशल नहीं और ना स्वप्न में भी उस के मन को शांति है, जब तक वह शोक के घर काम (विषय – कामना) को छोड़ कर श्री राम जी को नहीं भजता…….!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..