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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-247

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जय श्री राधे कृष्ण …..

तब लगि कुसल न जीव कहुँ सपनेहुँ मन बिश्राम, जब लगि भजत न राम कहुँ सोक धाम तजि काम ।।

भावार्थ:– तब तक जीव की कुशल नहीं और ना स्वप्न में भी उस के मन को शांति है, जब तक वह शोक के घर काम (विषय – कामना) को छोड़ कर श्री राम जी को नहीं भजता…….!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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