जय श्री राधे कृष्ण …..
“*खल मंडली बसहु दिन राती, सखा धरम निबहइ केहि भाँती, मै जानउँ तुम्हारि सब रीती, अति नय निपुन न भाव अनीती ।।
भावार्थ:– दिन-रात दुष्टों की मंडली में बसते हो । (ऐसी दशा में) हे सखे! तुम्हारा धर्म किस प्रकार निभता है ? मैं तुम्हारी सब रीति (आचार- व्यवहार) जानता हूँ । तुम अत्यंत नीति निपुण हो, तुम्हें अनीति नहीं सुहाती……!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..