जय श्री राधे कृष्ण …..
“अस कहि करत दंडवत देखा, तुरत उठे प्रभु हरष बिसेषा, दीन बचन सुनि प्रभु मन भावा, भुज बिसाल गहि हृदयँ लगावा ।।
भावार्थ:– प्रभु ने उन्हें ऐसा कह कर दण्डवत करते देखा तो वे अत्यन्त हर्षित हो कर तुरंत उठे । विभीषण जी के दीन वचन प्रभु के मन को बहुत ही भाये । उन्होंने अपनी विशाल भुजाओं से पकड़ कर उन को हृदय से लगा लिया……!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
