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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-243

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जय श्री राधे कृष्ण …..

अस कहि करत दंडवत देखा, तुरत उठे प्रभु हरष बिसेषा, दीन बचन सुनि प्रभु मन भावा, भुज बिसाल गहि हृदयँ लगावा ।।

भावार्थ:– प्रभु ने उन्हें ऐसा कह कर दण्डवत करते देखा तो वे अत्यन्त हर्षित हो कर तुरंत उठे । विभीषण जी के दीन वचन प्रभु के मन को बहुत ही भाये । उन्होंने अपनी विशाल भुजाओं से पकड़ कर उन को हृदय से लगा लिया……!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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