lalittripathi@rediffmail.com
Stories

सुख का आधार

106Views

सुख का आधार

जिस प्रकार वृक्षारोपण करने से आपको शीतल छाया स्वतः प्राप्त हो जाती है उसी प्रकार शुभ कार्य करने से समय आने पर सुख की प्राप्ति भी स्वतः हो जाती है। हमारे द्वारा संपन्न ऐसा कोई शुभ और सद्कार्य नहीं जिसके परिणामस्वरूप प्रकृति द्वारा हमें उचित पुरस्कार देकर सम्मानित ना किया जाए। कुँआ खोदा जाता है तो फिर हमारी प्यास बुझाने के लिए शीतल जल की प्राप्ति भी स्वतः हो जाती है।

जब-जब हमारे द्वारा किसी और की भलाई के लिए निस्वार्थ भाव से कोई कार्य किया जाता है, तब-तब हमारे द्वारा वास्तव में अपनी भलाई की ही आधारशिला रखी जा रही होती है। आज हम किसी जरूरतमंद के लिए सहायक बनेंगे तो आवश्यकता पड़ने पर कल हमारी सहायता और सहयोग के लिए भी कई हाथ खड़े होंगे।

सबकी प्रसन्नता के लिए जीने का भाव ही परमात्मा को प्रसन्न करने का मूलमंत्र भी है।
नेक कर्म और प्रभु नाम स्मरण सहायक हों सभी के

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply