lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-223

94Views

जय श्री राधे कृष्ण …..

देखिहउँ जाइ चरन जलजाता, अरुन मृदुल सेवक सुखदाता, जे पद परसि तरी रिषिनारी, दंडक कानन पावनकारी ।।

भावार्थ:– (वे सोचते जाते थे) मैं जाकर भगवान के कोमल और लाल वर्ण के सुंदर चरण कमलों के दर्शन करूँगा, जो सेवकों को सुख देने वाले हैं, जिन चरणों का स्पर्श पाकर ऋषि पत्नी अहिल्या तर गई और जो दण्डक वन को पवित्र करने वाले हैं…….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply