जय श्री राधे कृष्ण …..
“रावन जबहिं बिभीषन त्यागा, भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा, चलेउ हरषि रघुनायक पाहीं, करत मनोरथ बहु मन माहीं ।।
भावार्थ:- रावण ने जिस क्षण बिभीषण को त्यागा, उसी क्षण वह अभागा वैभव (ऐश्वर्य) से हीन हो गया । विभीषण जी हर्षित हो कर मन में अनेकों मनोरथ करते हुए श्री रघुनाथ जी के पास चले…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..