जय श्री राधे कृष्ण …..
“उमा संत कइ इहइ बड़ाई, मंद करत जो करइ भलाई, तुम्ह पितु सरिस भलेहिं मोहि मारा, रामु भजें हित नाथ तुम्हारा ।।
भावार्थ:– (शिव जी कहते हैं), हे उमा, संत की यही बड़ाई (महिमा) है कि वे बुराई करने पर भी (बुराई करने वाले की) भलाई ही करते हैं । (विभीषण जी ने कहा), आप मेरे पिता के समान हैं। मुझे मारा सो तो अच्छा ही किया, परंतु हे नाथ ! आप का भला श्री राम जी को भजने में ही है….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..