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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-218

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जय श्री राधे कृष्ण …..

मम पुर बसि तपसिन्ह पर प्रीती, सठ मिलु जाइ तिन्हहि कहु नीती, अस कहि कीन्हेसि चरन प्रहारा, अनुज गहे पद बारहिं बारा ।।

भावार्थ:– मेरे नगर में रह कर प्रेम करता है तपस्वियों पर । मूर्ख ! उन्हीं से जा मिल और उन्हीं को नीति बता । ऐसा कह कर रावण ने उन्हें लात मारी । परंतु छोटे भाई विभीषण ने (मारने पर भी) बार-बार उसके चरण ही पकड़े….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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