lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-218

55Views

जय श्री राधे कृष्ण …..

मम पुर बसि तपसिन्ह पर प्रीती, सठ मिलु जाइ तिन्हहि कहु नीती, अस कहि कीन्हेसि चरन प्रहारा, अनुज गहे पद बारहिं बारा ।।

भावार्थ:– मेरे नगर में रह कर प्रेम करता है तपस्वियों पर । मूर्ख ! उन्हीं से जा मिल और उन्हीं को नीति बता । ऐसा कह कर रावण ने उन्हें लात मारी । परंतु छोटे भाई विभीषण ने (मारने पर भी) बार-बार उसके चरण ही पकड़े….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply