lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-214

69Views

जय श्री राधे कृष्ण …..

तव उर कुमति बसी बिपरीता, हित अनहित मानहु रिपु प्रीता, कालराति निसिचर कुल केरी, तेहि सीता पर प्रीति घनेरी ।।

भावार्थ:– आप के हृदय में उल्टी बुद्धि आ बसी है । इसी से आप हित को अहित और शत्रु को मित्र मान रहे हैं । जो राक्षस कुल के लिए कालरात्रि (के समान) हैं, उन सीता पर आप की बड़ी प्रीति है…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply