जय श्री राधे कृष्ण …..
“सुमति कुमति सब कें उर रहही, नाथ पुरान निगम अस कहहीं, जहाँ सुमति तहँ संपति नाना, जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना ।।
भावार्थ:– हे नाथ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि (अच्छी बुद्धि) और कुबुद्धि (खोटी बुद्धि) सब के हृदय में रहती हैं। जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार की सम्पदाएँ (सुख की स्थिति) रहती हैं और जहाँ कुबुद्धि है, वहाँ परिणाम में विपत्ति (दु:ख) रहती है …..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..