जय श्री राधे कृष्ण …..
“माल्यवंत अति सचिव सयाना, तासु बचन सुनि अति सुख माना, तात अनुज तव नीति बिभूषन, सो उर धरहु जो कहत बिभीषन ।।
भावार्थ:– माल्यवान नाम का एक बहुत ही बुध्दिमान मंत्री था । उसने उन (विभीषण) के वचन सुन कर बहुत सुख माना (और कहा) हे तात! आप के छोटे भाई नीति विभूषण (नीति को भूषण रूप में धारण करने वाले अर्थात नीतिमान) हैं । विभीषण जो कुछ कह रहे हैं उसे हृदय में धारण कर लीजिए…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
