जय श्री राधे कृष्ण …….
” काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ, सब परिहरि रघुबीरहि भजहु भजहिं जेहि संत ।।
भावार्थ:– हे नाथ! काम, क्रोध, मद और लोभ – ये सब नरक के रास्ते हैं । इन सब को छोड़ कर श्री राम चन्द्र जी को भजिए, जिन्हें संत (सत्पुरुष) भजते हैं……!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
