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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-205

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जय श्री राधे कृष्ण …….

काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ, सब परिहरि रघुबीरहि भजहु भजहिं जेहि संत ।।

भावार्थ:– हे नाथ! काम, क्रोध, मद और लोभ – ये सब नरक के रास्ते हैं । इन सब को छोड़ कर श्री राम चन्द्र जी को भजिए, जिन्हें संत (सत्पुरुष) भजते हैं……!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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