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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-201

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जय श्री राधे कृष्ण …….

सोइ रावन कहुँ बनी सहाई, अस्तुति करहिं सुनाई सुनाई, अवसर जानि बिभीषनु आवा, भ्राता चरन सीसु तेहिं नावा ।।

भावार्थ:- रावण के लिए भी वही सहायता (संयोग) आ बनी है । मन्त्री उसे सुना-सुना कर (मुँह पर) स्तुति करते हैं । (इसी समय) अवसर जान कर विभीषण जी आये । उन्होंने बड़े भाई के चरणों में सिर नवाया…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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