जय श्री राधे कृष्ण …….
“श्रवन सुनी सठ ता करि बानी, बिहसा जगत बिदित अभिमानी, सभय सुभाउ नारि कर साचा, मंगल महुँ भय मन अति काचा ।।
भावार्थ:– मूर्ख और जगत प्रसिद्ध अभिमानी रावण कानों से उसकी वाणी सुन कर खूब हँसा (और बोला), स्त्रियों का स्वभाव सचमुच ही बहुत डरपोक होता है । मंगल मे भी भय करती हो । तुम्हारा मन (हृदय) बहुत ही कच्चा (कमजोर) है…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..