lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-194

64Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

तव कुल कमल बिपिन दुखदाई, सीता सीत निसा सम आई, सुनहु नाथ सीता बिनु दीन्हें, हित न तुम्हार संभु अज कीन्हें ।।

भावार्थ:– सीता आप के कुल रूपी कमलों के वन को दु:ख देने वाली जाड़े की रात्रि के समान आई है । हे नाथ! सुनिए, सीता को दिए (लौटाए) बिना शंभु और ब्रह्मा के किए भी आप का भला नहीं हो सकता…….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply