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Month Archives: June 2024

Stories

मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश

मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी । सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था और उनकी कॉपिया जाचने के लिए घर ले आई थी । बच्चो की कॉपिया देखते देखते उसके आंसू बहने लगे । उसका...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-222

जय श्री राधे कृष्ण ….. "रावन जबहिं बिभीषन त्यागा, भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा, चलेउ हरषि रघुनायक पाहीं, करत मनोरथ बहु मन माहीं ।। भावार्थ:- रावण ने जिस क्षण बिभीषण को त्यागा, उसी क्षण वह अभागा वैभव (ऐश्वर्य) से हीन...

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प्रभु प्रेम

प्रभु प्रेम उड़ीसा में बैंगन बेचनेवाले की एक बालिका थी । दुनिया की दृष्टि से उसमें कोई अच्छाई नहीं थी | न धन था, न रूप । किन्तु दुनिया की दृष्टिसे नगण्य उस बालिका को संत जयदेव गोस्वामी जी का...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-221

जय श्री राधे कृष्ण ….. "अस कहि चला बिभीषनु जबहीं, आयू हीन भए सब तबहीं, साधु अवग्या तुरत भवानी, कर कल्यान अखिल कै हानी ।। भावार्थ:- ऐसा कह कर विभीषण जी ज्यों ही चले, त्यों ही सब राक्षस आयु हीन...

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ईश्वर की शक्ति

ईश्वर की शक्ति एक बार मैं कॉलेज से ऑटो ली घर जाने को। ऑटो वाले ने मुझे कदमा मार्केट में ही उतार दिया। बोला, माफ करना मैडम ऑटो का पेट्रोल खत्म हो गया हैं। आप अंदर से कोई रिक्शा कर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-220

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सचिव संग लै नभ पथ गयऊ, सबहि सुनाइ कहत अस भयऊ ।। भावार्थ:- (इतना कह कर) विभीषण अपने मंत्रियों को साथ लेकर आकाश मार्ग में गए और सबको सुना कर वे ऐसा कहने लगे।। दो....

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सुखी वैवाहिक- जीवन साथी

सुखी वैवाहिक- जीवन साथी जरूर पढ़े आनन्द आएगा-  कॉलेज में सुखी वैवाहिक जीवन पर एक  कार्यक्रम हो रहा था, जिसमे कुछ शादीशुदा जोड़े हिस्सा ले रहे थे। जिस समय प्रोफेसर मंच पर आए । उन्होने नोट किया कि सभी पति-...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-219

जय श्री राधे कृष्ण ….. "उमा संत कइ इहइ बड़ाई, मंद करत जो करइ भलाई, तुम्ह पितु सरिस भलेहिं मोहि मारा, रामु भजें हित नाथ तुम्हारा ।। भावार्थ:- (शिव जी कहते हैं), हे उमा, संत की यही बड़ाई (महिमा) है...

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मानवता का गुण

मानवता का गुण एक किसान के पास बहुत पिल्ले थे तो वह कुछ पिल्लो को बेचना चाहता था. उसने घर के बाहर बिक्री का बोर्ड लगा दिया. एक दिन दस साल का बच्चा किसान के दरवाजे पर आया और बोला...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-218

जय श्री राधे कृष्ण ….. "मम पुर बसि तपसिन्ह पर प्रीती, सठ मिलु जाइ तिन्हहि कहु नीती, अस कहि कीन्हेसि चरन प्रहारा, अनुज गहे पद बारहिं बारा ।। भावार्थ:- मेरे नगर में रह कर प्रेम करता है तपस्वियों पर ।...

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