प्रभु के नाम महिमा
एक बार वृन्दावन के मंदिर में एक संत अक्षय तृतीया के दिन “श्री बांके बिहारी” के चरणों का दर्शन कर रहे थे। दर्शन करने के साथ साथ एक भाव भी गुनगुना रहे थे कि “श्री बिहारी जी” के चरण कमल में नयन हमारे अटके। नयन हमारे अटके नयन हमारे अटके।
एक व्यक्ति वहीँ पर खड़ा खड़ा ये भाव सुन रहा था। उसे ये भाव पसंद आया। और इस भाव को गुनगुनाते हुए अपने घर पहुंचा। उसकी आँखे बंद है ….”श्री बिहारी” के चरण ह्रदय में है और बड़े भाव से गाये जा रहा है। लेकिन उस व्यक्ति से एक गलती हो गई। भाव था कि”श्री बिहारी जी” के चरण कमल में नयन हमारे अटके। लेकिन उसने गुनगुनाया “श्री बिहारी जी” के नयन कमल में “चरण” हमारे अटके। थोड़ा उल्टा हो गया। लेकिन ये व्यक्ति बड़ा मगन होकर गाने लगा। “श्री बिहारी जी” के नयन कमल में “चरण” हमारे अटके।
अब थोड़ा सोचिये हमारे नयन “श्री बिहारी जी” के चरणों में अटकने चाहिए। हमारा ध्यान “श्री बिहारी जी” के चरणों में होना चाहिए। क्योंकि भगवान के चरण कमल बहुत ही प्यारे हैं। लेकिन उस व्यक्ति ने इतना मगन होकर गया कि भगवान बांके बिहारी आज सब कुछ भूल गए और “श्री बिहारी जी उसके सामने प्रकट हो गए।
बांके बिहारी ने उससे मंद मंद मुस्कुराते हुए कहा – अरे भईया! मेरे एक से बढ़कर एक बड़ा भक्त है लेकिन तुझ जैसा निराला भक्त मुझे मिलना बड़ा मुश्किल है। लोगो के नयन तो हमारे चरणों के अटक जाते है पर तुमने तो हमारे ही नयन अपने चरणों में अटका दिये।
वो व्यक्ति समझ ही नहीं पाया कि क्या हो रहा है। आज भगवान ने उसे साक्षात् दर्शन दे दिए। फिर अपनी भूल का एहसास भी हुआ कि मैंने भगवान के नयनों को अपने चरणों में अटकने के लिए कहा। लेकिन फिर उसे समझ आया कि भगवान तो केवल भाव के भूखें है। अगर मुझसे कोई गलती होती तो भगवान मुझे दर्शन देने ही नहीं आते। मेरे भाव पे आज भगवान रीझ गए।
ऐसा सोचकर वह भगवान के प्रेम में खूब रोया उसने साक्षात् भगवान को और भगवान की कृपा को बरसते हुए देखा। धन्य हैं ऐसे भक्त और भगवान।
भगवान के चरणों का बहुत ही महत्व है। आप भगवान के चरणों में मन को लगा दें बस। क्योंकि भगवान के चरण दुखों का हरण कर लेते हैं।
श्री हरी चरण – दुःख हरण।..
जय श्रीराम