जय श्री राधे कृष्ण …….
“जासु दूत बल बरनि न जाई, तेहि आएँ पुर कवन भलाई, दूतिन्ह सन सुनि पुरजन बानी, मंदोदरी अधिक अकुलानी ।।
भावार्थ:- जिस के दूत के बल का वर्णन नहीं किया जा सकता, उसके स्वयं नगर में आने पर कौन भलाई है (हम लोगों की बड़ी बुरी दशा होगी) ? दूतियों से नगर वासियों के वचन सुन कर मंदोदरी बहुत व्याकुल हो गई……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..