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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-191

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जासु दूत बल बरनि न जाई, तेहि आएँ पुर कवन भलाई, दूतिन्ह सन सुनि पुरजन बानी, मंदोदरी अधिक अकुलानी ।।

भावार्थ:- जिस के दूत के बल का वर्णन नहीं किया जा सकता, उसके स्वयं नगर में आने पर कौन भलाई है (हम लोगों की बड़ी बुरी दशा होगी) ? दूतियों से नगर वासियों के वचन सुन कर मंदोदरी बहुत व्याकुल हो गई……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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