जय श्री राधे कृष्ण …….
“उहाँ निसाचर रहहिं ससंका, जब तें जारि गयउ कपि लंका, निज निज गृह सब करहिं बिचारा, नहिं निसिचर कुल केर उबारा ।।
भावार्थ:- वहाँ (लंका में) जब से हनुमान जी लंका को जला कर गए, तब से राक्षस भयभीत रहने लगे । अपने-अपने घरों में सब विचार करते हैं कि अब राक्षस कुल की रक्षा (का कोई उपाय) नही है…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..